₹90.00
MRPPrint Length
250 pages
Language
Hindi
Publisher
Gita Press
Publication date
1 January 2015
Weight
350 Gram
नित्यलीलालीन (भाईजी) श्री हनुमानप्रसाद जी पोद्दार द्वारा प्रणीत यह अनुपम ग्रन्थ-रत्न है। इसमें श्री राधाकृष्ण का अलौकिक प्रेम ही श्रीराधामाधव-चिन्तनके रूप में प्रस्फुटित है। भक्ति और शास्त्रीय चिन्तन के अद्भुत समन्वय के साथ यह ग्रन्थ-रत्न सात प्रकरणों में विभक्त है। श्रीराधा, श्रीकृष्ण, श्रीराधामाधव, भावराज्य-लीला-रहस्य, प्रेम-तत्त्व, गोपाङ्गना और प्रकीर्ण-ये सातों प्रकरण मुक्ति के सप्त सोपान के रूप में भगवत्-तत्त्वका सरस, हृदयग्राही प्रतिपादन करते हैं। यह ग्रन्थ साधकों, श्रद्धालुओं, व्रज-रस-रसिकों के लिये नित्य स्वाध्याय एवं संग्रहका विषय है। सचित्र, सजिल्द।
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