₹400.00
MRPGenre
Print Length
384 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9788173156977
Weight
570 Gram
ज्ञानिनामाग्रगण्य सकल गुणनिधान कपिप्रवर हनुमान के बारे में कौन नहीं जानता? अद्वितीय प्रतिभा और अतुलित बल के कुबेर होते हुए भी उन्होंने स्वार्थ के लिए उसका उपयोग कभी नहीं किया| साधारण मनुष्य में यदि विद्या, गुण या कौशल आदि थोड़े से गुण भी आ जाएँ, तो वह दर्प से चूर हो जाता है, परंतु हनुमान सर्वगुण-संपन्न होकर भी सेवक ही बने रहे| प्रस्तुत पुस्तक 'हनुमानगाथा' में संकट-मोचक हनुमान के संपूर्ण जीवन को रामायण, रामचरितमानस आदि ग्रंथों के परिप्रेक्ष्य में आत्मकथात्मक शैली में पवनपुत्र के श्रीमुख से विवेचन हुआ है| हनुमान का चरित्र अलौकिक गुणों से संपन्न असंभव को संभव बनानेवाला है| आज के भौतिकवादी संसार में हनुमान के पावनचरित को अपनाए जाने की महती आवश्यकता है| वर्तमान में संसार को सेवा और भक्ति की पहले से कहीं ज्यादा आवश्यकता है| इसके लिए सबसे बड़े आदर्श और प्रेरणास्रोत हनुमान ही हो सकते हैं| इस नाते परोपकारी हनुमान का चरित अनुकरणीय है| सुधी पाठक हनुमान के पावन गुणों को आत्मसात् कर घोर कष्टों और अशांति से निजात पाएँ, इसी में इस पुस्तक के लेखन की सफलता है|
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