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Hamare Shehron Ka Rupantaran (हमारे शहरों का रूपांतरण)

Price: ₹ 299.00

Condition: New

Isbn: 9788183228039

Publisher: Manjul Publication

Binding: Paperback

Language: Hindi

Genre: Pollitics & Current Affairs,Economics & Development,

Publishing Date / Year: 2017

No of Pages: 299

Weight: 399 Gram

Total Price: 299.00

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हमारे शहर आज संकट में हैं और उन्हें पुनर्जीवन देना आने वाले वर्षों में देश के लिए बड़ी चुनौती है. इन शहरों में करोड़ों लोग पानी और सफ़ाई व्यवस्था जैसी आधारभूत सुविधाओं के बिना रहते हैं. भारत की शहरी जनसंख्या के सं २०३१ तक ६० करोड़ हो जाने का अनुमान है और तब स्थिति बहुत विकराल हो जाएगी. यह पुस्तक भारत के कुछ शहरों में हाल ही के वर्षों में किए गए प्रयासों पर आधारित है, जो इस अंधकार में आशा की किरण जगती है. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में मलकापुर वह पहला शहर है जिसने अपने निवासियों के लिए चौबीस घंटे जल प्रदाय को सुनिश्चित किया है. गुजरात में सूरत शहर का प्लेग की महामारी वाले शहर से रूपांतरित होकर सबसे स्वच्छ शहरों में से एक बनना भी सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है. दिल्ली के आसपास जैव विविधता को पुनः संचित करना, पुणे की पाषाण झील को इसके पूरक स्वरुप में वापस लाना और भुवनेश्वर की समृद्ध विरासत को बनाए रखने के लिए इस मंदिर के नगर संरक्षण हेतु काम किया जाना, रूपांतरण के कुछ अन्य उदाहरण हैं. इस पुस्तक में दी गयी केस स्टडीज़ को ईशर जज अहलूवालिया द्वारा इंडियन एक्सप्रेस और फ़ाइनैंन्सियल एक्सप्रेस में उनके मासिक कॉलम "पोस्टकार्ड्स ऑफ़ चेंज" के लिए लिखा गया था. उन्हीं लेखों के बेहतर संस्करण इस पुस्तक में प्रस्तुत किए गए हैं. हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, इंदौर, जयपुर, मगरपट्टा और अन्य कई शहरों ने शहरीकरण की चुनौतियों का जवाब नवाचारी तरीकों से दिया है. अब समय आ गया है कि भारत के शहरों के लोग अच्छे प्रशासन और ज़िम्मेदारी भरे व्यव्हार की माँग रखें और रूपांतरण की इन प्रक्रियाओं को आगे ले जाएँ, जिससे शहरी भारत की दिशा में बदलाव को सुनिश्चित किया जा सके.