देश में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बेरोज़गारी से जूझते लाखों हिन्दुस्तानी युवाओं का सपना है - सरकारी नौकरी। इस सपने को साकार करने के लिए वे अपनी जवानी के आठ-दस साल इसमें लगा देते हैं। लेकिन कठिन, लम्बे संघर्ष के बावजूद भी बहुतों को नौकरी हाथ नहीं लगती। इसका कारण अभ्यर्थियों की काबिलियत की कमी ही नहीं लेकिन व्यवस्था की अनियमितताओं का नतीजा भी होता है। ऐसा ही कुछ स्टाफ सलेक्शन कमीशन की कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल की 2013 से लेकर 2017 तक की परीक्षाओं में हुआ, जब इन परीक्षाओं के नतीजे लम्बे समय तक घोषित नहीं हुए। इससे अभ्यर्थियों की बरसों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर गया और बहुत तो तय सरकारी आयु-सीमा से बाहर ही हो गये। लम्बे समय तक अभ्यर्थियों के धरना-प्रदर्शन का भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। लेखक सोहेल रज़ा स्वयं एक अभ्यर्थी रहे हैं जिन्होंने 2013 और 2017 की ये परीक्षाएँ दी थीं। ताश के पत्ते उनके अपने इन अनुभवों पर आधारित है। वर्तमान में वे वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। कानपुर देहात के ज़िला रूरा कस्बे के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे सोहेल रज़ा का यह पहला उपन्यास है। संपर्क: razasohel30@gmail.com
Taash Ke Patte (ताश के पत्ते)
Author: Sohel Raza (सोहेल रज़ा)
Price:
₹
295.00
Condition: New
Isbn: 9788194131885
Publisher: Rajpal and sons
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Fiction,General,
Publishing Date / Year: 2020
No of Pages: 224
Weight: 304 Gram
Total Price: ₹ 295.00
Reviews
There are no reviews yet.