Sama - Chakwa (समा - चकवा)

By Geetashree (गीताश्री)

Sama - Chakwa (समा - चकवा)

By Geetashree (गीताश्री)

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Specifications

Print Length

208 pages

Language

Hindi

Publisher

Rajpal and sons

Publication date

1 January 2024

ISBN

9789389373929

Weight

288 Gram

Description

“सामा चकवा” की कहानी को गीताश्री ने नई काया दी है। बचपन से अपने इलाके में देखती सुनती आई लेखिका पहले तो गीत और कथा से चमत्कृत हुई जैसे हम सब होते हैं बालपन में, फिर कौशल से बने खिलौनों से, हंगामेदार त्योहारनुमा खेल से प्रभावित हुई। बड़ी होने पर पढ़ाई लिखाई, पोथी-पत्रा देखने, दीन दुनिया जाने, पत्रकारिता करने के बाद विचार पनपा कि यह कथा पर्यावरण रक्षा की है, स्त्री स्वतंत्रता की है, सियासत की विवशता की भी है। यह आज के संदर्भ में भी उतना ही मौजूँ है जितना हज़ारों साल पहले द्वापर युग मे था। जुट गई लेखन में। मैं मानती हूँ कि श्रुतिलेखन जब शुरू हुआ तब मूल कथा के साथ बड़ी-बड़ी घटनाएँ क्षेपक रूप में जुड़ गईं। वे भी जिनका तत्कालीन समाज में प्रचलन हो गया था। अब कृष्ण द्वारकाधीश राजा हो गये और उनका आग्रह नहीं, आदेश चलने लगा। अब अवैध वन कटाई का प्रकोप बढ़ गया, अब स्त्रियों को स्वेच्छा से घूमने फिरने की स्वतंत्रता न रही। लेखिका ने पाया, आधुनिक युग की सभी विकराल समस्याओं की जड़ वहीं रोपी हुई है। यह भी देखा कि स्त्रियों ने सामा के विजय को रेखांकित किया। आज भी याद करती हैं, उल्लास से भर उठती हैं। यह जरूरी है अपने को पहचानना, अपने परिवेश को जानना। यह रोचक उपन्यास जितने मनोयोग से पुराकथा को लिखने का संकल्प किया, उतनी ही शिद्दत से आज की समस्या भी विन्यस्त की। साधुवाद गीताश्री! -पद्मश्री उषाकिरण खान, द्विभाषी लेखिका और साहित्य अकादमी सम्मान प्राप्त


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