₹185.00
MRPPrint Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2017
ISBN
9789350643044
Weight
224 Gram
हिन्दी साहित्य में ‘नयी कहानी आन्दोलन’ के बाद उभरे लेखकों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले लेखक रवीन्द्र कालिया की कहानियों की मौलिक विशेषता है युवा जीवन की संवेदनाओं का रेखांकन। उनकी कहानियों में हमारे शहरों-कस्बों की ज़िन्दगी में आ गयी जकड़बन्दी और दमघोंटू वातावरण का सजीव चित्रण है जो पाठकों को यथास्थिति से टकराने का हौंसला देता है। विधा के स्तर पर भी वे प्रयोगशील हैं और सामान्य कहानियों के साथ लम्बी कहानी का सधा हुआ कौशल भी उनके यहाँ दिखाई देता है। वे अपने लेखन में किसी शैली या भंगिमा को स्थायी नहीं बनने देते बल्कि लगातार नया-अलहदा और भिन्न रचने की तड़प उन्हें अपनी पीढ़ी में आदर्श कथाकार होने की वजह देती है। इन कहानियों का चुनाव स्वयं रवीन्द्र कालिया ने किया था और 2016 में उनके असामयिक निधन के बाद उनकी पत्नी ममता कालिया इन्हें पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रही हैं।
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