₹285.00
MRPGenre
Print Length
176 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2023
ISBN
9789389373097
Weight
256 Gram
‘वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी’ जैसी मशहूर ग़ज़लें और प्रसिद्ध रामधुन ‘हे राम’ के रचयिता की यह इकलौती किताब है जिसमें उनकी ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों को सम्मिलित किया गया है। सुदर्शन फ़ाकिर की ग़ज़लों और गीतों को बेगम अख़्तर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले, पंकज उधास और अन्य जाने-माने गायकों ने अपनी आवाज़ दी है। लेकिन उनकी सबसे ज़्यादा ग़ज़लों और गीतों को जगजीत सिंह ने ही गाया। सुदर्शन फ़ाकिर और जगजीत सिंह न केवल अच्छे दोस्त थे बल्कि एक दूसरे के पूरक भी थे। सुदर्शन फाकिर ने कई फ़िल्मों के लिए गीत भी लिखे और ‘दूरियाँ’ फिल्म के उनके गीत ‘मेरे घर आना ज़िन्दगी...’ को 1980 में ‘फिल्म वल्र्ड अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। एनसीसी में गाये जाने वाले गीत ‘हम सब भारतीय हैं’ भी उन्हीं का लिखा हुआ है। 1934 में फ़िरोज़पुर में जन्मे सुदर्शन फ़ाकिर ने डीएवी कॉलेज जालंधर से अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्हें कॉलेज के दिनों से ही रंगमंच, कविता और शायरी का शौक था। कुछ वर्ष ऑल इंडिया रेडियो जालंधर में कार्यरत रहने के बाद वे बेगम अख़्तर के कहने पर मुंबई चले गये। लेकिन उनका परिवार जालंधर में ही रहा और वे दोनों शहरों में लगातार आते-जाते रहे। सुदर्शन फ़ाकिर एकान्तप्रिय और सकुंचित स्वभाव के थे और बहुत कम लोगों से खुलकर बात करते थे। शौहरत से दूरी बनाये रखने वाले सुदर्शन फ़ाकिर हमेशा गुमनामी के अंधेरे में ही रहे और शायद इसीलिए उनके जीवनकाल में उनकी कोई किताब सामने नहीं आई। 12 फरवरी 2008 को सुदर्शन फ़ाकिर की कलम हमेशा के लिए रुक गयी।
0
out of 5