₹200.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Current Affairas And Pollitics, Humor
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789382898429
Weight
310 Gram
अगले दिन हम सुबह ही वर्माजी के घर जा पहुँचे| वहाँ बड़ी भीड़ थी| प्रायः सबके हाथ में कुछ कागज भी थे| किसी को गली की समस्या थी, तो किसी को बिजली के खंभे की| किसी को अपने या अपने किसी रिश्तेदार के लिए नौकरी चाहिए थी, तो किसी को दुकान| वर्माजी सबसे बड़ी चतुराई से निबट रहे थे| कभी वे गरम हो जाते, तो कभी नरम| कभी किसी के साथ वे अंदर जाकर गुपचुप बात करते, तो किसी को सबके सामने हड़काने लगते| शर्माजी से उन्होंने चाय का आग्रह किया; पर मुझे पानी तक को नहीं पूछा| उनको बार-बार रंग बदलता देख मैं समझ गया कि जरूर इनके डी.एन.ए. में गिरगिट के कुछ अंश हैं| --- जरा सोचिए, अभी तो 'मेरा भारत महान्' विकासशील देश है; पर जब यह पूर्ण विकसित हो जाएगा, तब सड़क पर झाड़ू लगाते सफाईकर्मी, खेत में आधी धोती पहनकर हल चलाते किसान, फटी लँगोटीवाले भिखारी सब टाईवाले ही होंगे| घरों में झाड़ू-पोंछा करनेवाली महिलाएँ और गलियों में आवाज लगाकर फल-सब्जी बेचनेवाले इसे लगाकर आएँगे| टाईवाले चालक के रिक्शा में बैठकर लगेगा मानो पूरा ब्रिटेन आपकी गुलामी कर रहा है| दूधवाला अपने साथ-साथ भैंस के गले में भी इसे लटका देगा| इससे दूध में पर्याप्त पानी होने पर भी दो-चार रुपए फालतू देते हुए आपको कष्ट नहीं होगा| -इसी संग्रह से
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