मेरे लेखोंका मेहनतसे अध्ययन करनेवालों और उनमें दिलचस्पी लेनेवालोंसे मैं यह कहना चाहता हूं कि मुझे हमेशा एक ही रूपमें दिखाई देनेकी कोई परवाह नहीं हे | सत्यकी अपनी खोजमें मैंने बहुतसे विचारोंको छोड़ा है और अनेक नई बातें सीखा भी हूं | उमरमें भले मैं बूढ़ा हो गया हूं, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता कि मेरा विकास बन्द हो जायगा |
Swechhase Sweekar Ki Hui Garibee (स्वेच्छासे स्वीकार की हुई गरीबी)
Author: Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी)
Price:
₹
20.00
Condition: New
Isbn: 9788172292300
Publisher: Navajivan Trust
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Literature and Language,
Publishing Date / Year: 2012
No of Pages: 31
Total Price: ₹ 20.00
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