₹250.00
MRPGenre
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2020
ISBN
9789381063569
Weight
300 Gram
भारत माँ के अमर सपूत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक समाज-सुधारक और स्वतंत्रता संग्राम के सर्वमान्य नेता थे| उन्होंने सबसे पहले पूर्ण स्वराज की माँग उठाई| उनका कथन 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा' ने स्वाधीनता सेनानियों में नया जोश भर दिया| तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए| सन् 1907 में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गई| गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिनचंद्र पाल शामिल थे| सन् 1908 में तिलक ने क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया, जिसके कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया| वे बाल विवाह और अन्य सामाजिक कुरीतियों के प्रबल विरोधी थे| उन्होंने हिंदी को संपूर्ण भारत की भाषा बनाने पर जोर दिया| महाराष्ट्र में उन्होंने स्वराज का संदेश पहुँचाने के लिए गणेशोत्सव की परंपरा प्रारंभ की| मराठी में 'मराठा दर्पण' व 'केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार-पत्र प्रारंभ किए| 1 अगस्त, 1920 को बंबई में उनका देहावसान हो गया| श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गांधी ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' कहा और पं. जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें 'भारतीय क्रांति का जनक' बतलाया| उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं; किंतु मांडले जेल में उनके द्वारा लिखी गई 'श्रीमद्भगवद्गीता' की व्याख्या 'गीता-रहस्य' सर्वोत्कृष्ट कृति है, जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है|
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