₹150.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Spiritual, Memoir And Biography
Print Length
120 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
9789383111480
Weight
270 Gram
परम पावन दलाई लामा विश्व में नैतिकता और सदाचार के उच्चस्थ केंद्र हैं| तिब्बतियों के मानवाधिकारों और उनकी संस्कृति के संरक्षण के प्रयास में परम पावन राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं चाहते| वे तो समझौते की माँग भी नहीं करते, बल्कि ‘महान् चीनी जनता’ के साथ मिल-जुलकर काम करने की प्रतिबद्धता और सच्ची स्वायत्तता चाहते हैं| वे एक धार्मिक नेता हैं, जिनको लाखों लोग बुद्ध का अवतार मानते हैं| मानवता के प्रति उनकी गहरी आस्था, उन्मुक्त हँसी, आत्मिक आनंद तथा स्वभावगत हास्य का अनुभव उनके सान्निध्य में रहकर ही किया जा सकता है| उनकी शांत, आश्वस्त करनेवाली ऊष्म ऊर्जा के सतत प्रवाह को शब्दों में बाँधना संभव नहीं| परम पावन दलाई लामा बड़ी सहजता से अपने विचार रखते हैं| वे बोलते हैं तो उनके शब्द उनके व्यक्तिगत ज्ञान की गहनता, अंतर्दृष्टि और अपने जीवनकाल में प्राप्त अनुभव से परिपूर्ण होते हैं| प्रस्तुत पुस्तक में समय-समय पर दिए गए उनके उद्बोधनों, संवाद तथा परिचर्चा से निकले सार को सूक्ति रूप में दिया गया है| ये सूक्तियाँ मानवता, नैकितकता, सामाजिकता और आदर्शों की अंतर्दृंष्टि देकर जीवन का आनंद बढ़ाने में मदद करेंगी|
0
out of 5