₹200.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Memoir And Biography
Print Length
159 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2014
ISBN
9788173158742
Weight
315 Gram
स्व. श्री विष्णु प्रभाकर से परिचित साहित्य-प्रेमी सहसा विश्वास न कर सकेंगे कि कथा-उपन्यास, यात्रा-संस्मरण, जीवनी, आत्मकथा, रूपक, फीचर, नाटक, एकांकी, समीक्षा, पत्राचार आदि गद्य की सभी संभव विधाओं के लिए ख्यात विष्णुजी ने कभी कविताएँ भी लिखी होंगी| किंतु इस संग्रह के माध्यम से विष्णुजी का अब तक सामान्यत: अपरिचित रहा चेहरा सामने आ रहा है| संभवतया यह भी संयोग ही रहा कि उनके लेखन की शुरुआत (उनके कहे अनुसार) कविता से हुई और उनकी अंतिम रचना, जो उन्होंने अपने देहावसान से मात्र पच्चीस दिन पूर्व बिस्तर पर लेटे-लेटे अर्धचेतना- वस्था में बोली, वह भी कविता के रूप में ही थी| प्रस्तुत काव्य-संकलन में सन् 1968 से 1990 की अवधि में उनकी आंतरिक संवेदनाओं को कविता के रूप में संप्रेषित करती उन अभिव्यक्तियों को संकलित करने का प्रयास किया है, जो वे वर्ष में एक या दो बार समाज व मानव की स्थितियों-परिस्थितियों पर कविता के रूप में दीपावली व नववर्ष के संदेश के रूप में अपने चाहनेवालों को भेजते रहते थे| विश्वास है, सुधीपाठक स्व. विष्णुजी कविताओं में छुपे उनके अंतर्मन के राज से परिचित हो उनके कवि रूप का दर्शन कर सकेंगे|
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