₹350.00
MRPGenre
Print Length
407 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789380823263
Weight
480 Gram
वीर सावरकर’-यह शब्द साहस, वीरता, देशभक्ति, दूरदर्शी राजनीतिज्ञ का पर्याय बन गया है| स्वातंत्र्यवीर सावरकर न केवल स्वाधीनता-संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु वह एक महान् क्रांतिकारी, चिंतक, सिद्धहस्त लेखक, सशक्त कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे| वह एक ऐसे भारतीय इतिहासकार भी थे, जिन्होंने अपने महान् राष्ट्र की विजय के इतिहास को प्रामाणिक रूप में लिपिबद्ध किया तो ‘1857 का प्रथम स्वातंत्र्य समर’ का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला दिया था| उनका यह महान् ग्रंथ प्रकाशित होने से पूर्व ही जब्त कर ब्रिटिश शासन ने उनकी लौह-लेखनी का लोहा माना था| ऐसे प्रथम भारतीय नागरिक, जिन पर हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाया गया| ऐसे प्रथम क्रांतिकारी, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा दो बार आजन्म कारावास की सजा सुनाई गई| प्रथम साहित्यकार, जिन्होंने लेखनी और कागज से वंचित होने पर भी अंडमान जेल की दीवारों पर कीलों, काँटों और यहाँ तक कि नाखूनों से विपुल साहित्य का सृजन किया और ऐसी सहस्रों पंक्तियों को वर्षों तक कंठस्थ कराकर अपने सहबंदियों द्वारा देशवासियों तक पहुँचाया| ऐसे प्रथम भारतीय लेखक, जिनकी पुस्तकें मुद्रित व प्रकाशित होने से पूर्व ही दो-दो सरकारों ने जब्त कर लीं| महान् क्रांतिकारी तथा चिंतक-विचारक-लेखक स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के चिंतनपरक विचारों का अद्भुत संकलन|
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