Police Vyavastha Par Vyangya (पुलिस व्यवस्था पर व्यंग)

By Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)

Police Vyavastha Par Vyangya (पुलिस व्यवस्था पर व्यंग)

By Giriraj Sharan (गिरिराज शरण)

400.00

MRP ₹420 5% off
Shipping calculated at checkout.

Specifications

Genre

Novels And Short Stories, Humor

Print Length

148 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2018

ISBN

8173151490

Weight

265 Gram

Description

राज्य-व्यवस्था चलाने के लिए पहले ' वरदीधारियों ' की एक ही जाति हुआ करती थी | सरकारी भाषा में उसे ' सिपाही ' कहा जाता था | लेकिन यह ' अंग्रेज श्री ' के भारत आने से पहले की बात है | अंग्रेज क्योंकि स्वभाव से ' विभाजन- प्रिय ' लोग हैं, सो उन्होंने अपनी इस विभाजन-प्रवृत्ति का परिचय देते हुए ' सिपाही जाति ' का रातोरात विभाजन कर दिया | उन्होंने इस जाति में से एक और प्रजाति निकाली, जिसका नाम रखा ' पुलिस ' | विभाजन के बाद इनके कार्यक्रम अलग- अलग हो गए | सिपाही शत्रु के विरुद्ध युद्ध छिड़ने के अवसर पर मोरचा सँभालते हैं, तो पुलिस अपने लोगों के बीच लड़ाई के अवसर पर | पहला लड़ने का काम करता है तो दूसरा लड़ाने का | और आप भलीभांति जानते हैं कि लड़ने से कहीं अधिक मुश्किल काम है लड़ाने का | बचपन में हम एक कहावत सुनते थे-' भाग रे सिपाही, चोर आया ' | तब हम नहीं समझते थे कि चोर के आने पर सिपाही का भाग जाना क्यों आवश्यक है! लेकिन अब समझते हैं और खूब समझते हैं, क्योंकि जैसे-जैसे पुलिस-तंत्र विकास की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे चोरों की दिलेरी और पुलिस की फरारी बढ़ रही है | इस झंझट से मुक्‍त होते हुए फिलहाल हम यह मुकदमा उन बुद्धिजीवी लेखकों के सुपुर्द करते हैं, जो इस सिद्धांत को नहीं मानते और पुलिस के अंदर झाँकने का बार-बार प्रयास करते हैं | आप इनसे मिलिए और पुलिस का चिट्ठा पढ़िए | तिल-तिलकर तिलमिलाने और हास्य स्थलों पर ठहाका लगाने को विवश करते हैं ये व्यंग्य |


Ratings & Reviews

0

out of 5

  • 5 Star
    0%
  • 4 Star
    0%
  • 3 Star
    0%
  • 2 Star
    0%
  • 1 Star
    0%