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Specifications

Genre

Novels And Short Stories

Print Length

160 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

8188140287

Weight

400 Gram

Description

आड़ी-टेढ़ी बात ' वस्तुत: अपने आस- पास की विसंगतियों के प्रति प्रबुद्ध वर्ग को सावधान करने और व्यवस्था को सचेत करने का एक ऐसा अचूक अस्त्र है, जिसकी तिरछी मार से आहत होना तयशुदा है | थोड़ा कहना, ज्यादा समझना ' आड़ी-टेढ़ी बात ' की शैली है | वैसे ज्यादा कहना आसान होता है; परंतु उसकी मार उतनी तेज नहीं होती, क्योंकि कील नुकीली होकर ही दीवार में जल्दी घुस पाती है | देखिए- ' एक युग पहले हमारे एक रहमदिल कुल-प्रबंधक ने सड़कें बनवाने के लिए किसी ठेकेदार से दर्जनों जगह किनारे-किनारे गिट्टी-पत्थर डलवा दिए थे | अब वे सारे कैंपस में सच्चे समाजवादी भाव से फैल गए हैं-सड़कों पर, मैदानों में, मकानों के दरवाजों तक | इससे एक जबरदस्त लाभ हो गया है कि कुत्तों को भगाने के लिए पत्थर उठाने के लिए एक कदम से ज्यादा कहीं नहीं चलना पड़ता | ' --- ' किसी मरीज के इलाज के मामले में जब डॉक्टर जवाब दे देते हैं तब कहा जाता है कि अब दवा से नहीं, दुआ से काम चलेगा | डॉक्टरों से ऐसा जवाब (कि अब ' दुआ ' करो) काफी जल्दी मिलनेवाला एक अस्पताल है. ' डी.के. ', अर्थात् ' दुआ करो अस्पताल ' | ' --- ' लोग नेता क्यों बनना चाहते हैं? इसलिए कि उसमें किसी भी दुकान को चलाने की तुलना में कम मेहनत करनी पड़ती है | दूसरे इसलिए कि कोई अन्य धंधा शुरू करने के लिए पूँजी चाहिए जबकि नेतागिरी खाली जेब से भी शुरू हो सकती है | अन्य धंधों में रुपए जाते भी हैं और आते भी हैं, पर नेतागिरी में बस आते-ही-आते हैं | नेतागिरी कोई नौकरी न होकर धंधा इसलिए है कि इसमें कोई रिटायरमेंट एज नहीं होती, जिसका कारण यह है कि नेता बनते ही आदमी अधिकाधिक जवान होता चला जाता है | '


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