Chandragupta Maurya (चंद्रगुप्त मौर्य)

By Dilip Kumar Lal (दिलीप कुमार लाल)

Chandragupta Maurya (चंद्रगुप्त मौर्य)

By Dilip Kumar Lal (दिलीप कुमार लाल)

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Specifications

Genre

History

Print Length

133 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2014

ISBN

9789380183947

Weight

280 Gram

Description

आज से लगभग 2300 वर्ष पहले मगध पर घनानंद नामक एक कुटिल और क्रूर शासक का राज्य था| वह बात-बात पर लोगों को फाँसी दे देता था| ऐसे निरंकुश शासक ने जब चाणक्य नाम के एक विद्वान् का अपमान किया तो उसने नंद को समूल नष्ट करने का प्रण ले लिया| बालक चंद्रगुप्त भी नंद का सताया हुआ था, वह भी येन-केन-प्रकारेण नंद से प्रतिशोध लेना चाहता था| अनायास ही चाणक्य और चंद्रगुप्त की भेंट हो गई| चाणक्य ने चंद्रगुप्त को कडे़ अनुशासन में रखकर अस्त्र-शस्त्र के ज्ञान के साथ राजनीति की शिक्षा भी दी| अनुकूल अवसर मिलते ही चंद्रगुप्त ने घनानंद पर हमला कर दिया और उसका समूल नाश करके मौर्य साम्राज्य की स्थापना की| मौर्य साम्राज्य पूर्व में बंगाल की खाड़ी से पश्चिम में अरब सागर तक फैला था| उत्तर में चंद्रगुप्त के राज्य की सीमा दक्षिणी अफगानिस्तान और ईरान तक फैली थी| उसने वृहद् भारत पर एकच्छत्र अनुकरणीय राज्य किया| जीवन के उत्तरार्ध में अपने पुत्र बिंदुसार को राज्य सौंपकर वह कर्नाटक में श्रवणबेलगोला चला गया और एक भिक्षुक के रूप में अपना जीवन बिताया| चंद्रगुप्त मौर्य का निर्लिप्त जीवन सचमुच अनुकरणीय है|


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