Dabe Paanv Tatha Anya Kahaniyan (दबे पाँव तथा अन्य कहानियाँ)

By Vrindavan Lal Verma (वृन्दावनलाल वर्मा)

Dabe Paanv Tatha Anya Kahaniyan (दबे पाँव तथा अन्य कहानियाँ)

By Vrindavan Lal Verma (वृन्दावनलाल वर्मा)

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Specifications

Genre

Novels And Short Stories

Print Length

224 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2016

ISBN

8173152500

Weight

335 Gram

Description

शेर बड़ी मस्त चाल से आ रहा था| बगल की पहाड़ी पर पतोखी बोली| अलसाते-अलसाते उठाते हुए अपने भारी पैरों को शेर ने एकदम सिकोड़ा, बिजली की तरह गरदन मरोड़ी, पीछे के पैरों पर सधा और जिस ओर से पतोखी बोली थी उस ओर एकटक देखने लगा| खरी चाँदनी में उसकी छोहें स्पष्‍ट दिख रही थीं| सफेद बाल और छपके चमक रहे थे | भारी भरकम सिर की बगलों में छोटे-छोटे कान विलक्षण जान पड़ते थे | शेर जरा सा मुड़ा़, तब उसके भयंकर पंजे और भयानक बाहु और कंधे दिखलाई पड़े | गरदन जबरदस्त मोटी और सिर से पीठ तक ढालू | उसके पुट्ठों को देखकर मन पर आतंक-सा छा गया | शेर फिर मचान के सामने सीधा हुआ | उसने मेरी ओर गरदन उठाई | चंद्रमा के प्रकाश में उसकी ओंखें जल रही थीं | वह टकटकी लगाकर मेरी ओर देखने लगा- और मैं तो आँख गड़ाकर उसकी ओर पहले से ही देख रहा था | एक क्षण के लिए मन चाहा कि गोली छोड़ दूँ; परंतु जंगल का शेर- और इतना बड़ा- जीवन में पहली बार देखा था, इसलिए मन में उसको देखते रहने का लालच उमड़ा | शेर कई पल मेरी ओर देखता रहा | उसको संदेह था | वह जानना चाहता था कि मैं हूँ कौन? पर मैं अडिग और अटल था | उसको बाल बराबर भी हिलता नहीं दिखा | जब शेर मेरा निरीक्षण कर चुका तब बैल के पास गया | उसने अपना भारी जबड़ा बैल के ऊपर रखा और दाढें गड़ाकर एक झटका दिया | एक ही झटके में कई आदमियों के बाँधे हुए बाँस के खपचे तड़ाक से टूट गए | दूसरी बार मुँह हाल कर जो उसने झटका दिया तो बैल तीन- चार हाथ की दूरी पर जा गिरा | -इसी पुस्तक से


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