Dwarka Ka Suryasta (द्वारका का सूर्यास्त)

By Dinkar Joshi (दिनकर जोशी)

Dwarka Ka Suryasta (द्वारका का सूर्यास्त)

By Dinkar Joshi (दिनकर जोशी)

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Specifications

Genre

Novels And Short Stories

Print Length

108 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2011

ISBN

8188267309, 9788193295656

Weight

245 Gram

Description

दाऊ!'' बलराम के पास जाकर कृष्ण ने तनिक झुककर उनसे पूछा, '' किस सोच में डूबे हैं आप?'' '' कृष्ण! प्रभासक्षेत्र के आयोजन एवं गांधारी के शाप की समयावधि के बीच.. '' '' बड़े भैया!'' कृष्ण जैसे चौंक उठे, '' आप... आप.. .यह क्या कह रहे हैं?'' '' माधव!'' बलराम ने होंठ फड़फड़ाए '' महर्षि कश्यप के शाप को हमें विस्मृत नहीं करना चाहिए | '' '' वह मैं जानता हूँ संकर्षण! उसकी स्मृति हमें ऊर्ध्वगामी बनाए ऐसी प्रार्थना हम करें | '' '' उस प्रार्थना के लिए ही मैं इस समुद्र- तट पर योग-समाधि लेना चाहता हूँ | योग- समाधि पूर्व के इस पल में मैं तुमसे एक क्षमा-याचना करना चाहता हूँ भाई | '' '' यह आप क्या कह रहे हैं, दाऊ? आप तो मेरे ज्येष्‍ठ भ्राता.. '' बलराम ने कहा, '' मद्य-निषेध तो एक निमित्त था, परंतु वृष्णि वंशियों के लिए उनका सनातन गौरव अखंड रखने के लिए यह निमित्त अनिवार्य था | फिर भी हम उसे सँभाल न सके | अब इस असफलता को स्वीकार करने में कोई लज्जा या संकोच नहीं होना चाहिए | यादवों को यह गौरव प्राप्‍त होता रहे, इसके लिए तुमने बहुत कुछ किया; परंतु यादव उस गौरव से वंचित रहे, उस अपयश को मुझे स्वीकार करना चाहिए | समग्र यादव वंश को तो ठीक परंतु कृष्ण.. '' बलराम का कंठ रुँध गया, '' भाई, मैंने तुमसे भी छल... '' '' ऐसा मत कहिए बड़े भैया!'' बलराम के एकदम निकट बैठते हुए कृष्ण ने उनके हाथ पकड़ लिये, '' हम तो निमित्त मात्र हैं | कर्मों का निर्धारण तो भवितव्य कर चुका होता है | '' -इसी उपन्यास से


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