Haldi Ghati Ka Yoddha (हल्दीघाटी का योद्धा)

By Sushil Kumar Phull (सुशील कुमार फुल्ल)

Haldi Ghati Ka Yoddha (हल्दीघाटी का योद्धा)

By Sushil Kumar Phull (सुशील कुमार फुल्ल)

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Specifications

Genre

History

Print Length

145 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2014

ISBN

9788185826882/8185826889

Weight

280 Gram

Description

सहसा भामाशाह ने अपने भाई की ओर देखा और स्वयं अपने साथ आए भील युवा को बुलाकर, उसके पास सुरक्षित चर्मकोषों को खोलकर उसी चट्टानी धरती पर सोने और चाँदी की अनगिनत मुद्राएँ उडे़ल दीं| हाथ जोड़कर बोले, ‘‘घड़ीखम्मा! यह सारा धन आपका ही है| इसको लेकर आप मेवाड़ की रक्षा के लिए जो भी करना चाहें, करें|’’ वहाँ उपस्थित सरदारों की आँखें चमक उठीं| वे विस्मित से उस विशाल कोष की ओर देखते रह गए| महाराणा ने कहा, ‘‘भामाशाह, यह तुम्हारा धन है| मैं तुम्हारे धन को लेकर इस प्रकार कैसे लुटा सकता हूँ! इसे तुम अपने पास ही रखो|’’ भामाशाह ने करबद्ध विनती की, ‘‘अन्नदाता, हम तो आपका दिया हुआ ही खाते हैं और आपका दिया हुआ ही जीते हैं| यह मेवाड़ की धरती हमारी माँ है| इसके निमित्त आप तो अपना सारा राजसुख तक निछावर करके जूझते रहे हैं| ऐसे में यह धन यदि आप किसी भी प्रकार हमारी माँ की स्वतंत्रता के लिए खर्च करते हैं तो यह हमारे लिए गौरव की बात होगी| आप जो चाहें, जैसे भी चाहें, इसका उपयोग करें| हमें तो अपने अन्नदाता पर विश्वास है| अपनी धरती माँ की स्वाधीनता के लिए अपना सिर कटवाना हो तो हमें आप सदा तत्पर ही पाएँगे|’’ -इसी पुस्तक से अदम्य साहस, स्वतंत्रता के प्रति गहन अनुराग व निष्ठा, त्याग-बलिदान तथा स्वाभिमान के प्रतीक थे महाराणा प्रताप| घोर संकट के समय भी उन्होंने साहस व दृढता का दामन कभी नहीं छोड़ा| अप्रतिम योद्धा तथा नीति-कुशल शासक के रूप में उन्होंने ऐसा गौरव अर्जित किया, जो मुगल शहंशाह सहित उनके समकालीन अनगिनत नरेशों के लिए सर्वथा दुर्लभ रहा|


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