Suno Vidyarthiyo (सुनो विद्यार्थीओं)

By Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी)

Suno Vidyarthiyo (सुनो विद्यार्थीओं)

By Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी)

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Specifications

Genre

Novels And Short Stories

Print Length

127 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2011

ISBN

9788188267866

Weight

255 Gram

Description

पढ़ने-लिखने में एक साधारण सा बालक| मैट्रिक पास करके बड़े सपने लिये लंदन में वकालत पढ़ने जाता है कि वापस लौटकर ढेर सारा पैसा कमाएगा| लेकिन बैरिस्टर बनने के बाद जब वह भारत लौटता है तो उसकी वकालत चल नहीं पाती| उसका झेंपू और दब्बू स्वभाव उसकी उम्मीदों पर पानी फेर देता है| केस लड़ते समय उसे पसीना आ जाता है, पैर काँपने लगते हैं और जज तक उसका मजाक उड़ाते हैं| लेकिन जब वह शख्स दक्षिण अफ्रीका में नस्ल-भेद का शिकार होता है तो उसमें न जाने कहाँ से इतनी हिम्मत आ जाती है कि वह अंग्रेजी शासन से मुकाबले को उद्यत हो जाता है| इस हिम्मत के चलते वह लाखों देशवासियों को वर्षों की यातना से मुक्ति दिलवाता है और वही साधारण व्यक्ति शनै:-शनै: मानव से महात्मा में तब्दील हो जाता है| गांधीजी ने इसे ‘सत्य की ताकत’ कहा है| सत्य के आग्रह को कुछ समय के लिए तो दबाया जा सकता है, लेकिन वह शाश्वत होता है; अंत में उसे स्वीकार करना ही होगा| सत्याग्रह की इसी ताकत ने गांधीजी को महात्मा बनाया और उन्होंने देश की आजादी के लिए प्रत्येक देशवासी को एक सिपाही में तब्दील कर दिया| दुखी मानवता के उद्धार के लिए गांधीजी जीवन भर लड़ते रहे| प्रस्तुत पुस्तक में महात्मा गांधी के प्रेरणादायी एवं मागदर्शक कथनों को प्रस्तुत किया गया है| आशा है, सुधी पाठक एवं विद्यार्थी इससे खूब लाभान्वित होंगे|


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