₹275.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
500 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350643495
Weight
700 Gram
ऐतिहासिक एवं पौराणिक गाथाओं को आधुनिक सन्दर्भ प्रदान करने में सिद्धहस्त, बहुचर्चित लेखक की यह नवीनतम औपन्यासिक कृति अपनी भाषा के माधुर्य एवं शिल्पगत सौष्ठव द्वारा पाठक को मुग्ध किए बिना नहीँ होगी । 'पहला सूरज', एवं 'पवन-पुत्र' जैसी बहुचर्चित कृतियों के पश्चात् श्रीकृष्ण-जीवन के उत्तरार्ध पर आधारित यह बृहत् उपन्यास हो मिश्र की लेखकीय यात्रा का एक महत्वपूर्ण पडाव है जो केवल अपनी आधुनिक दृष्टि ही नहीं अपितु विचारों की मनोन्मेषता और मौलिकता के कारण भी विशिष्ट है । डॉ. मिश्र शिल्पकार पहले है और उपन्यासकार बाद में, यहीँ कारण है कि पुस्तक अथ से इति तक पाठक के मन को बांधने से सक्षम है और श्रीकृष्ण के बहुआयामी व्यक्तित्व के जटिलता प्रसंग भी बोधगम्य एवं साज सरल बन आए है । श्रीकृष्ण को लेखक ने पुरुषोत्तम के रूप से ही देखा है और उसकी यह दृष्टि इस कृति को प्रासंगिक के साथ-साथ उपयोगी भी बना जाती है । विघटनशील मानवीय मूल्यों के इस काल में आदर्शों एवं मूल्यों की पुनर्स्थापना के सफल प्रयास का ही नाम है 'पुरुषोत्तम' ।
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