₹135.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
156 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789350641088
Weight
195 Gram
साठ साल की उम्र में जगन आज भी अपने-आपको पूरी तरह जवान रखता है और कही मेहनत से अपनी मिठाई की दुकान चलाता है, जिससे वह अच्छा-खासा मुनाफा भी कमा लेता है। आराम से चल रही जगन की जिंदगी में उथल-पुथल आ जाती है, जव उसका बेटा माली अमरीका से अपनी नवविवाहिता कोरियन पत्नी के साथ मालगुडी जाता है और यहां से शुरू होता है दो पीढियों के विचारों के बीच टकराव l भरपूर कोशिश करने के बाद भी जगन अपने पारंपारिक खयालों को नहीं बदल पाता और काम-धन्दे को छोड़कर घार्मिक कार्यो और यात्राओँ की तरफ अपना मन लगाने की सोचता है और तभी यह खबर जाती है कि उसका बेटा पुलिस की हिरासत में है और उसने अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया है। इस स्थिति से जगन केसे निकलता है? पढिये इस रोचक उपन्यास में जो आर. के. नारायण के अपने अनूठे ढंग में लिखा गया है । आर. के. नारायण शायद अंग्रेजी के ऐसे पहले भारतीय लेखक है जिनके लेखन ने न केवल भारतीय बल्कि विदेशी पाठकों में भी अपनी जगह बनाई। उन्होंने अपने उपन्यासों और कहानियों के लिए न केवल रोचक विषयों को चुना, बल्कि उन्हें अपने चुटीले संवादों से इतना चटपटा भी बना दिया कि जिसने भी उन्हें एक बार पढा उसमें नारायण की रचनाओ को पढने की चाहत और बढ़ गई।
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