₹165.00
MRPGenre
Novels & Short Stories, Pollitics & Current Affairs
Print Length
328 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789350641965
Weight
300 Gram
आज़ादी के छियासठ सालों के अनुभव का विश्लेषण हमें बताता है की भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की राह में मिलाने वाली बाहरी और आतंरिक चुनौतियों का सामना समुचित रूप से करने में नाकाम रहा है। जहां चुनौतियों का दायरा काफी व्यापक और विस्तृत रहा है , वहीं उसकी तुलना में हमारी प्रतिक्रिया लगातार सिमित रही है। इस पुस्तक में जसवंत सिंह सवाल उठाते है की ऐसा क्यों ?' क्या वैचारिक भूपटल में भ्रंश या शासन व्यवस्था में निहित दोषों के कारन यह स्थिति बनई है ? उनका मानना है की उन दोनों को मिलाकर ही उनके सवाल का जवाब पूरा होता है। इस बात को पुष्ट करने के लिए ही उन्हों ने पुस्तक में स्वतंत्र भारत में भरोसेमंद रक्षा नीति और सुरक्षा व्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में मिलाने वाली चुनौतियों, उन्हें हल करने की दिशा में उठाये गए कदम और की गई प्रतिक्रियाओं की बड़ी दक्षता के साथ विवेचना की है। पिछले साढ़े छह दशकों के दौरान लम्बे समय तक जसवंत सिंह ने अपने आधिकारिक पद से देश की विभिन्न सुरक्षा सम्बन्धी चुनौतियों का सामना किया और कई बार स्वयं महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और प्रबंध की जिम्मेदारी उठाई। इन सबा से देश की सुरक्षा के तमाम पहलुओं और उनसे जुड़े मुड्डूं को गहराई से समझने का उन्हें मौक़ा मिला। उनके अपने इन्ही अनुभवों पर आधारित है यह पुस्तक जिसमें देश की सुरक्षा सम्बन्धी सोच, नितियाँ, उनके परिणामों और विशेषकर विफलताओं की व्यापक और निष्पक्ष जानकारी है।
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