₹250.00
MRPGenre
Print Length
151 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350485118
Weight
325 Gram
मेरे लिए वे (मिल्खा सिंह) हमेशा एक प्रेरणा थे, हैं, और रहेंगे| -राकेश ओमप्रकाश मेहरा मिल्खा सिंह का जीवन दौड़, दौड़, और दौड़ से ही भरा रहा है| बँटवारे के समय मौत से बाल-बाल बचकर निकलनेवाले एक बालक ने एक युवा सैनिक रंगरूट तक का सफर तय किया और अपनी पहली तेज रफ्तार दौड़ एक दूध से भरे गिलास के लिए लगाई थी| अपनी इस पहली दौड़ के बाद मिल्खा सिंह संयोग से एथलीट बन गए और उसके बाद एक किंवदंती के रूप में हमारे सामने हैं| इस शानदार और प्रेरक आत्मकथा में मिल्खा सिंह ने भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण जीतने, पाकिस्तान में 'उड़नसिख' के रूप में स्वागत की अपार खुशी और ओलंपिक खेलों में एक चूक से मिली असफलता जैसे कई अनुभव बाँटे हैं| खेल को ही जीवन माननेवाले मिल्खा सिंह ने खेलों के तौर-तरीकों और नियम-कायदों से कभी भ्रमित नहीं हुए| 'भाग, मिल्खा भाग' एक बेहद सशक्त और पाठकों को बाँधे रखनेवाली पुस्तक है, जिसमें एक ऐसे शरणार्थी की जीवन-गाथा है जो भारतीय खेलों की महानतम हस्तियों में शुमार है| जीवन की कठिनाइयों और हालात से कभी न हारनेवाले असाधारण व्यक्ति की प्रेरणादायक जीवनगाथा|
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