₹200.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Social Science
Print Length
79 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2019
ISBN
9788177210910
Weight
190 Gram
डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत में दलितों के मसीहा के रूप में देखा जाता है | सन् 1947 में उन्हें संविधान सभा द्वारा स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए गठित प्रारूपण समिति का अध्यक्ष बनाया गया | संविधान के निर्माण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही | उनका जन्म वर्तमान मध्य प्रदेश के एक छोटे से कस्बे महू (इंदौर के निकट) में 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था | वे पिता सूबेदार रामजी एवं माँ भीमाबाई शकपाल की चौदहवीं संतान थे | महार जाति का होने के कारण उन्हें ' अछूत ' समझा जाता था | उनके पिता और दादा ने ब्रिटिश सेना में नौकरी की थी | तत्कालीन सरकार द्वारा सभी सैन्य-कर्मियों के बच्चों की शिक्षा हेतु अच्छे स्कूलों का प्रबंध किया गया था | इसलिए निम्न जाति के होने के बावजूद उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त हुई | सन् 1937 में डॉ अंबेडकर ने कोंकण क्षेत्र में महारों के सरकारी गुलाम के रूप में काम करने की ' खोती प्रथा ' को समाप्त करने के लिए एक विधेयक पेश किया | 1947 में भारत के स्वतंत्र होने पर उन्होंने कानून मंत्री के पद को सुशोभित किया | उन्होंने आह्वान किया, ' छीने हुए अधिकार भीख में नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है | ' उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए वर्ष 1990 में मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ' भारत रत्न ' से सम्मानित किया गया | प्रस्तुत है गरीब, असहाय तथा दबे- कुचलों को ऊपर उठानेवाले एक सच्चे मसीहा की प्रेरणास्पद एवं पठनीय रोचक जीवनी |
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