Aankhin Dekhi / Antar Lekhi (आंखें देखी / अंतर लेखी)

By Anand Aadeesh (आनंद आदीश)

Aankhin Dekhi / Antar Lekhi (आंखें देखी / अंतर लेखी)

By Anand Aadeesh (आनंद आदीश)

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Specifications

Genre

Novels And Short Stories

Print Length

136 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2010

ISBN

9789380823133

Weight

270 Gram

Description

मन तुरंग को साधना बेहद टेढ़ी खीर| वश में कर सकता इसे कोई एक कबीर|| • आता है जीवन भरा, जाता खाली खोल| मानव की भी त्रासदी ज्यों कुएँ की डोल|| • बोल तोलकर बोलना, थी पुरखों की सीख| मौन रतन अनमोल है, दो दमड़ी की चीख|| • नेता का हर शब्द जब कहलाए कानून| समझो तानाशाह को चढ़ने लगा जुनून|| • पानी से रोशन किए, जिसने बुझे चिराग| उस रूहानी आग में क्या तेरा कुछ भाग|| • केवट का क्या भाग्य जगत को पार लगाता| दो कूलों के बीच स्वयं बस आता-जाता|| • ऐंठें हम सौ बार पर झुक भी लें दो बार| दुखिया की दहलीज पर, दाता के दरबार|| • सहनशीलता संस्कार तो सागर ने पाया| जो छाती पर चढ़ा उसे भी पार लगा लाया|| • आओ चलो मॉल अपने से कुछ खरीद कर आएँ| बीस ग्राम मिट्टी, चुल्लू भर जल/वायु भर लाएँ|| • बार-बार पढ़ते रहें पुरखों लिखे निबंध| नत-मस्तक धारण करें शीतल मंद सुगंध||


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