₹195.00
MRPGenre
Novels & Short Stories
Print Length
192 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9789350643587
Weight
250 Gram
बरगद के प्रेड़ तले भारत के श्रेष्ठ कहानीकार आर. के. नारायण के प्रिय काल्पनिक शहर मालगुडी की अमूल्य धरोहर में एक अनूठे नग की तरह है जिसमें सौदागर, भिखारी, साधु-सन््त, अध्यापक, चरवाहे, ठग जैसे अलग-अलग चरित्रों की दिलचस्प कहानियाँ हैं । कहीं तो है एक विद्रोही नवयुवक जो पैतृक मन्दिर में अपने माता-पिता की ली गई प्रतिज्ञा का पालन करने से साफ इनकार कर देता है, तो वहीं सीधा-सादा दुकानदार एक अजनबी की मनमोहक बातों में आकर दिवालिया हो जाता है, और एक छोटा-सा लड़का अपना साहस दिखाने के लिए रात को अकेले ही चोर को पकड़ दिखाता है । ऐसी ही अट्ठाईस रोचक कहानियाँ इस पुस्तक में सम्मिलित हैं। कहानीकार आर. के. नारायण शब्दों के जादूगर थे जो अपने शब्दों के मायाजाल और जीवन्त चित्रण से पाठकों को मोह लेते हैं। कहानी का विषय कैसा भी हो, पात्र कितना भी क्रूर क्यों न हो, परिस्थिति कितनी भी विकट क्यों न हो, लेकिन उनकी शालीन कलम हर स्थिति को मानवीय नज़रिये से पेश करती है। मालगुडी की कहानियाँ, गाइड, स्वामी और उसके दोस्त, डार्क रूम, मिस्टर बी.ए. नागराज की दुनिया, मालगुडी का प्रिन्टर, महात्मा का इन्तज़ार, मालगुडी का मिठाईवाला, इंग्लिश टीचर और मालगुडी का मेहमान उनकी अन्य मशहूर रचनाएँ हैं। उनके साहित्य के योगदान के लिए उन्हें अपने जीवन-काल में साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था।
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