रामचरितमानस' मानवीय संबंधों को गरिमा देनेवाली अनुपम कथा है| इसीलिए 'मानस' के चरित्र हजारों वर्षों से हिन्दू समाज के हृदयतल में पूर्ण प्रतिष्ठा के साथ बसे हुए हैं| इन चरित्रों में भरत अत्यन्त मनोहारी हैं| उनकी गुन गाथा गा-सुनकर जीवन धन्य हो उठता है| वास्तव में, भरत रामकथा की नींव हैं| राम चुपचाप वन चले जाते तो शायद 'रामायण' नहीं बनती; इतिहास राम के प्रेम को राजमहलों के षड्यंत्र या दाँव-पेंच की विवशता करार कर देता या इसे कैकेयी की कुटिल और निर्मम राजनीति का स्वर्णिम पृष्ठ मान लेता| किन्तु राम ने अपने उदात्त प्रेम से मानवीय व्यवहार की गरिमा का जो बीज बोया था, वह भरत के त्यागरूपी जल के सिंचन के बिना कभी पल्लवित और पुष्पित नहीं हो पाता| जरा सोचिए, यदि भरत अयोध्या की राजगद्दी पर बैठ गए होते तो राम को कौन जानता! रामकथा राजमहलों के अधिकारों की संघर्ष गाथा बनकर इतिहास के किसी कोने में कूड़े-कचरे की तरह पड़ी रहती| किसी भी कीमत पर रामकथा मोती बनकर जन-जन के गले का हार कभी नहीं बन पाती| भरत को राम और राज्य में से किसी एक का चुनाव करना था, प्रेम और पद में से किसी एक को गले लगाना था| भरत ने राम को चुना; प्रेम को गले लगाया| राम को पाना, प्रेम को गले लगाना बड़ा कठिन था| भरत ने कठिन पथ ही चुना| इसीलिए वे उच्च आचरण के गौरी-शंकर बन गये, इतिहास के अनंत प्रवाह में अपने यश-कीर्ति की गगनचुंबी पताका गाड़ सके|
Bharat Gun Gatha (भारत गुणगाथा)
Author: Rajendra Arun (राजेंद्र अरुण)
Price:
₹
300.00
Condition: New
Isbn: 817315242X
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Paperback
Language: Hindi
Genre: Other,
Publishing Date / Year: 2011
No of Pages: 298
Weight: 470 Gram
Total Price: ₹ 300.00
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