₹300.00
MRPGenre
Other
Print Length
112 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
8188267392
Weight
245 Gram
हमारे कर्जदाताओं को हमारी नीतियों की आलोचना करने का अवसर मिल गया| उनके अध्ययन दलों ने हमारी औद्योगिक नीति को ठोका-बजाया और उसे दोषपूर्ण करार दिया| हमारी अर्थव्यवस्था को बारीकी से जाँचा-परखा और उसे बीमारी की ओर अग्रसर बतलाया| कहा कि यह मूलत: कठोर नियंत्रण का ही दुष्परिणाम था कि अर्थव्यवस्था पनप नहीं पाई, उद्योग अपने पाँवों पर खड़े नहीं हो पाए| उन्होंने सलाह दी कि हम नियंत्रण की जगह उदारता से काम लें और अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए उदारीकरण के च्यवनप्राश का सेवन करें| शर्तिया लाभ होगा| मुझे यह सलाह कतई नागवार गुजरी| उदारता का पाठ भला हमें कोई क्या पढ़ाएगा! इतिहास गवाह है कि हम आदिकाल से (अथवा अनादि काल से जो भी सही हो) ही इस कदर उदार रहे हैं कि यदि सपने में भी किसी को कुछ देने का वचन दे दें तो जागने पर बाकायदा उसे खोजकर हम वह वस्तु उसे सादर सौंप देते हैं| 'अतिथिदेवो भव' की भावना हम पर इतनी हावी रही कि हम सदियों तक खिलजियों, लोदियों, मुगलों और अंग्रेजों द्वारा शासित रहे| लाखों याचक हमारी उदारता के चलते ही अपना पेट पालते हैं| फिर यह कैसे हो सकता है कि हम औद्योगिक क्षेत्र में उदार होने से चूक गए हों? -इसी संग्रह से
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