₹300.00
MRPGenre
Other
Print Length
185 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2011
ISBN
8173156662
Weight
380 Gram
मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ उसके जीवन में सागरों का महत्त्व भी बढ़ता गया| आज, जब उसने कल्पनातीत प्रगति कर ली है तो उसे यह आभास होने लगा है कि उसकी अनेक भौतिक समस्याओं, यथा-खाद्य, आवास, कच्चा माल, ऊर्जा की आपूर्ति आदि-के हल उसे सागर में ही मिल पाएँगे| थल, जो पृथ्वी का मात्र 29.2 प्रतिशत भाग ही है, उनके हल उपलब्ध कराने में असमर्थ होता जा रहा है| भारत के संदर्भ में हिंद महासागर का महत्त्व दिनोदिन बढ़ता जा रहा है| उसे भी अपनी अनेक समस्याओं के निराकरण के लिए अंत में हिंद महासागर की शरण में ही जाना पड़ेगा| साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से भी हिंद महासागर दिन-प्रतिदिन अधिकाधिक महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है| इन कारणों से हमारे लिए हिंद महासागर के बारे में अधिक-से-अधिक जानकारियाँ प्राप्त करना आवश्यक हो गया है| सरल भाषा और सुबोध शैली में लिखित तथा श्वेत-श्याम एवं रंगीन चित्रों से सुसज्जित इस पुस्तक में हिंद महासागर के वैज्ञानिक पक्षों के बारे में जानकारियों का अपार भंडार है| हमें विश्वास है, इसे पढ़कर पाठक गण हिंद महासागर से संबद्ध आश्चर्यजनक, रोचक एवं खोजपरक जानकारियाँ प्राप्त कर अपना ज्ञानवर्द्धन करेंगे|
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