₹155.00
MRPGenre
Print Length
184 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9788170289357
Weight
270 Gram
ये रिश्ते क्या हैं' पुस्तक जे.कृषगमूर्ति द्वारा विभिन्न स्थानों पर दी गयी वार्ताओं का एवं उनके द्वारा रचित लेखों का प्रासंगिक संकलन है । हमारा हर उस शख्स से, हर उस शख्स से क्या रिश्ता है जो हमारे जीवन में है ? या हमारे रिश्तों में ये द्वंद्व कभी ख़त्म न होगे? तमाम तरह की स्मृतियों व अपेक्षाओं पर आधारित ये संबंध कितने आधे-अधूरे से हैं, और वर्तमान की जीवंतता से प्रायः अपरिचित, छवियों व पूर्वाग्रहों में कैदी इन्ही रिश्तों में हम सुकून तलाशते है । आखिर सही रिश्ता, सम्यक, संबंध है क्या? कृषगमूर्ति कहते हैं 'जब आप खुद कां ही नहीं जानते, तो प्रेम व सम्बन्ध को कैसे जान पाएंगे'? 'हम रूढ़ियों के दास है । भले ही हम खुद को आधुनिक समझ बैठे, मान ले कि बहुत स्वतंत्र हो गये हैं, परंतु गहरे में देखे तो है हम रूढ़िवादी है । इसमें कोई संशय नहीं है क्योकि छवि-रचना के खेल को आपने स्वीकार किया है और परस्पर संबंधों को इन्ही के आधार पर स्थापित करते है । यह बात उतनी ही पुरातन है जितनी कि ये पहाडिया । यह हमारी एक रीति बन गई है । हम इसे अपनाते है, इसी में जीते है, और इसी से एक दूसरे को यातनाएं देते है । तो क्या इस रीति को रोका जा सकता है ?
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