₹435.00
MRPGenre
Print Length
256 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2023
ISBN
9789393267245
Weight
336 Gram
...जब आप इस जगह से विदा लेंगे, कुछ तो ऐसा आपने आत्मसात् कर लिया हो - जो न तो हिन्दू है, न ही ईसाई - और तब आपका जीवन पुनीत होगा, पावन। 'सीखने की चाह' जे. कृष्णमूर्ति की शिक्षाविषयक अंतर्दृष्टियों का समुच्चय है। इसके पहले भाग में ब्रॉकवुड पार्क स्कूल (इंग्लैंड) के विद्यार्थियों के साथ कृष्णमूर्ति के वार्तालाप संकलित हैं तथा स्कूल स्टाफ के साथ हुई उनकी बातचीत भी। पुस्तक के दूसरे भाग में प्रकृति के वर्णनों के मध्य अनुस्यूत ध्यान के गहन संकेत एवं कतिपय परिचर्चाएँ हैं अभिभावकों, अध्यापकों तथा युवा आगंतुकों के साथ। सब तरह के प्रश्नों और जिज्ञासाओं का इन दोनों भागों में समावेश है : 'स्नेह और भावाकुलता के बीच का फर्क' तथा 'रसोई में हाथ बँटाने और सैर पर निकलने के बीच चुनाव की दुविधा' से लेकर 'आदर्शवाद व क्रांति' एवं 'ड्रग्स की समस्या' तक। कृष्णमूर्ति के लिए कोई भी प्रश्न अस्पृश्य नहीं है, और जीवन तथा शिक्षा एक ही प्रवाह के दो नाम हैं; यानी कि हम आजीवन विद्यार्थी और शिक्षक दोनों हैं, भले ही हम औपचारिक स्कूल के परिवेश में हों अथवा उससे बाहर। क्योंकि जीवन से बड़ा और कौन-सा स्कूल है!
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