₹300.00
MRPGenre
Print Length
152 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789381063194
Weight
300 Gram
रहीम अर्थात् अब्दुर्रहीम खानखाना को अधिकतर लोग कवि के रूप में जानते है; लेकिन कविता ने उनका दूसरा पक्ष आवृत कर लिया हो, ऐसा नहीं है| रहीम का व्यक्तित्व बहुआयामी था| एक ओर वे वीर योद्धा, सेनापति, चतुर राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ थे तो दूसरी ओर कवि-हृदय, कविता-मर्मज्ञ, उदार चित्त, उत्कट दानी, मानवीयता आदि गुणों से ओत-प्रोत थे| रहीम का जीवन तीव्र घटनाक्रमों से भरा रहा| चार वर्ष की उम्र में पिता असमय बिछड़ गए| तीन पुत्र युवावस्था में ही एक-एक कर गुजर गए| एक धर्मपुत्र फहीम युद्ध में मारा गया| इसके बाद उपाधि और जागीरदारी छिन गई| इस प्रकार 72 वर्ष का उनका जीवन बारंबार कसौटी पर कसा गया; और इस रस्साकाशी ने उन्हें इस कदर तोड़कर रख दिया कि अंत समय में पुनः मिली उपाधि और सत्ता का भी वे उपभोगी नहीं कर सके| इस पुस्तक में उसी युग-पुरुष के जीवन-वृत्त और काव्य-संसार पर प्रकाश डाला गया है| यह पाठकोपयोगी सामग्री अब्दुर्रहीम खानखाना उर्फ रहीम के रचनाकर्म और व्यक्तित्व से परिचित कराएगी|
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