₹135.00
MRPGenre
Print Length
96 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2015
ISBN
9788170283560
Weight
240 Gram
अग्रणी कवि बच्चन की कविता का आरंभ तीसरे दशक के मध्य 'मधु' अथवा मदिरा के इर्द-गिर्द हुआ और "मधुशाला" से आरंभ कर 'मधुबाला' और 'मधुकलश' एक-एक वर्ष के अतर से प्रकाशित हुए । ये बहुत लोकप्रिय हुए और प्रथम 'मधुशाला' ने तो धूम ही मचा ही । यह दरअसल हिन्दी साहित्य की आत्मा का ही अंग बन गई है और कालजयी रचनाओं की श्रेणी में आ खडी हुई है । इन कविताओं की रचना के समय कवि की आयु 27-28 वर्ष की बी, अल स्वाभाविक है कि वे संग्रह यौवन के रस और प्यार से भरपूर हैं । स्वयं बच्चन ने इन सबको एक साथ पाने का आग्रह किया है । कवि ने कहा है ' 'आज मदिरा लाया हुं-जिसे पीकर भविष्य के भय भाग जाते है और भूतकाल के दुख दूर हो जाते आज जीवन की मदिरा, जो हमें विवश होकर पीनी पडी है, कितनी कड़वी हैं । ले, पान कर जोर इस मद के उन्माद में अपने को, अपने दुख को, भूल जा ।"
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