₹150.00
MRPGenre
Print Length
144 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2014
ISBN
9788170289807
Weight
160 Gram
अहमद फ़राज़ आज के सबसे लोकप्रिय शायर हैं । उन्हें जीते-जी ऐसी शोहरत मिली है कि आज हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में फ़राज़ साहब की ग़ज़लों और नज़रों को बड़े शौक से पढा और सुना जाता है । "ये मेरी गज़लें, ये मेरी नज्में' की विशेषता यह है कि इसमें खुद फ़राज़ साहब ने अपनी मनपसन्द बेहतरीन ग़ज़लों और नज्मो का चयन किया है ।अहमद फ़राज़ की शोहरत ने अब अपने गिर्द एक ऐसा प्रभामंडल पैदा का लिया है जिसमें उनके एक इंकलाबी रूमानी शायर की छवि चस्पा है । अपने मुल्क में उन्होंने जेलें भी काटी हैं । उनकी शायरी उस तमाम पीड़ा का प्रतीक है जिससे एक सोचने वाले शायर को गुज़रना पड़ता है । उनकी कही हुई बात जो सुनता है, उसे उसी की दास्तां मालूम होती है । मजरूह सुल्तानपुरी के शब्दों मेँ- 'फ़राज़ अपने वतन के मज़लूमों के शायर हैं । उन्हीं की तरह तड़पते हैं मगर रोते नहीं, बल्कि उन जंजीरों को तोड़ते नज़र आते हैं जो उनके समाज को जकड़े हुए हैं ।'
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