₹250.00
MRPGenre
Print Length
352 pages
Language
Hindi
Publisher
Rajpal and sons
Publication date
1 January 2017
ISBN
9789350643990
Weight
100 Gram
हर ज़ुबान से सबसे मीठी बातें होती हैं प्यार-मोहब्बत की, और जब ये उर्दू ज़ुबान में कही जायें तो इन्हें ‘ग़ज़ल’ कहा जाता है। ग़ज़ल एक ख़ास किस्म की काव्य-विधा है जिसकी शुरुआत अरबी साहित्य में पायी जाती है। अरबी से जब ग़ज़ल फ़ारसी में आयी तो इसमें सूफ़ीवाद और अध्यात्म भी जुड़ गये; और हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर आते-आते ग़ज़ल की ज़ुबान उर्दू हो गयी। हिन्दुस्तान में कहाँ पर ग़ज़ल की शुरुआत हुई, उत्तर भारत या दक्कन में, इस पर विवाद है। शुरुआत कहीं भी हुई हो, लेकिन हिन्दुस्तानियों ने ग़ज़ल को पूरी तरह से अपना बना लिया और इसे देवनागरी में भी लिखा जाने लगा। प्रतीकों और संकेतों के ज़रिये भावपूर्ण अभिव्यक्ति करने वाली ग़ज़ल में प्रेम और श्रृंगार के अलावा दर्शन, सूफ़ीवाद, अध्यात्म, देशभक्ति, नैतिक सिद्धान्त सभी विषयों पर लिखा जाता है। कारवाने ग़ज़ल में हिन्दी के नामी कवि और उर्दू के विशेषज्ञ, सुरेश सलिल, ने अमीर खुसरो से लेकर परवीन शाकिर तक, 173 चुनिंदा शायर और कवि जो अब हमारे बीच नहीं हैं, की ग़ज़लों का इन्द्रधनुषी गुलदस्ता सजाया है। वही उमर का एक पल कोई लाये तड़पती हुई सी ग़ज़ल कोई लाये हक़ीक़त को लाये तख़ैयुल से बाहर मेरी मुश्किलों का जो हल कोई लाये - शमशेर
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