₹600.00
MRPGenre
Print Length
348 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2017
ISBN
9789352662753
Weight
550 Gram
मुहावरे में प्रधान है उसका लाक्षणिक अर्थ जिसका गठन अपरिवर्तनीय रहता है। गठन में परिवर्तन होते ही उसका लाक्षणिक अर्थ बेमजा हो जाता है। ‘कमर टूटना’ को न ‘कटि भंग’ कर सकते हैं, न ‘कटि टूटना’। मुहावरे अधिकतर शारीरिक अंगों व चेष्टाओं, सामाजिक-राजनैतिक कथनों व घटनाओं पर आधारित होते हैं। मुहावरे में क्रियापद रहता है, जैसे—अंगूठा दिखाना, आँख दिखाना, अपना उल्लू सीधा करना आदि। हिंदी के मुहावरे तद्भव शब्दों पर आधारित हैं : हस्त, अक्षि, कर्ण, नासिका के स्थान पर मुहावरों में हाथ, आँख, कान, नाक का ही प्रयोग होगा और यही मुहावरेदानी हिंदी-उर्दू के परस्पर बाँधे हुए है। लोक में प्रचलित उक्ति ही ‘लोकेक्ति’ है, जो किसी देश या काल से बँधी नहीं होती। वह तो सार्वकालिक व सार्वदेशिक है। लोकोक्तियाँ मानवीय अनुभवों के आधार पर बनती हैं। लोकोक्ति में संक्षिप्तता, सारगार्भिता, विदग्धता आदि गुण भरपूर होते हैं। इस कोश में मुहावरों/लोकोक्तियों के अलग-अलग अर्थों को वर्णक्रमानुसार क्रम संख्या द्वारा तथा समानार्थकों को अर्धविराम द्वारा दर्शाया गया है। प्रयोगकर्ताओं के सुझावों का स्वागत किया जाएगा।
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