₹20.00
MRPPrint Length
64 pages
Language
Hindi
Publisher
Navajivan Trust
Publication date
1 January 2012
ISBN
9788172291105
ये प्रवचन मंगलवार के प्रभात को लिखे जाते थे, इसलिए इस प्रवचन संग्रह का नाम ‘मंगल –प्रभात’ ही रखा गया है| हमारे कौमी जीवनमे जब निराशा का घोर साम्राज्य फैला था, तब जिन व्रतोने राष्ट्रिय जीवन में आशा ,अपने-आप पर भरोसा,फुर्ती और धार्मिकता की हवा पैदा की, उन्ही व्रतोने एक नइ संस्कृति –नये तमददुन का मंगल-प्रभात शुरू किया, एसा अगर हम माने तो वह कुछ ज्यादा न होगा|
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