₹175.00
MRPGenre
Print Length
175 pages
Language
Hindi
Publisher
Manjul Publication
Publication date
1 January 2009
ISBN
9788183221412
Weight
130 Gram
जिस समाज में कवी रहता है, उसी का ताना बाना वह अपनी कविताओं में बुनता है. उसको घेरी हुई परिस्तिथियों से दो-चार होते रहने के बावज़ूद देश का नागरिक आस्था और विश्वास बनाए हुए है. इस कविता-संग्रह में भी विजय शर्मा के समाज और उससे जूझ रहे नागरिक की संवेदना की अभिव्यक्ति है.
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