₹250.00
MRPPrint Length
208 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9789352665198
Weight
288 Gram
"चाहो! सब कुछ चाहो ''लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं,'' 'बुद्ध ने कहा इच्छा न करो। लेकिन आप तो कहते हैं-सारा कुछ पाने की इच्छा करो। यह विरोधाभास क्यों है?' जो अपने जीवन-काल के अंदर समस्त मानव जाति को ज्ञान प्रदान करने की इच्छा करते रह, क्या उन्होंने लोगों को इच्छा का त्याग करने को कहा होगा? कभी नही। बड़ी से बड़ी इच्छाएं पालिए। उन्हें पाने के लिए सौ फीसदी लगन के साथ कार्य कीजिए। ध्यानपूर्वक इच्छा का निर्वाह करेंगे तो वांछित मनोरथ पा सकते हैं।'' -सद्गुरु बेहद लोकप्रिय साप्तहिक 'आनंद विकटन' में एक वर्ष-पर्यत धरावाहिक रूप से निकलकर, फिर पुस्तकाकार प्रकाशित सद्गुरु के वचनामृत अब आपके हाथों में है - 'चाहो! सब कुछ चाहो'
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