महर्षि पतंजलि ने एक सूत्र दिया है- ' योगश्चित्त: वृत्ति निरोध: ' | इस सूत्र का अर्थ है-' योग वह है, जो देह और चित्त की खींच-तान के बीच, मानव को अनेक जन्मों तक भी आत्मदर्शन से वंचित रहने से बचाता है | चित्तवृत्तियों का निरोध दमन से नहीं, उसे जानकर उत्पन्न ही न होने देना है | ' ' योग और योगासन ' पुस्तक में ' स्वास्थ्य ' की पूर्ण परिभाषा दी गई है | स्वास्थ्य की दासता से मुक्त होकर मानवमात्र को उसका ' स्वामी ' बनने के लिए राजमार्ग प्रदान किया गया है | ' स्वास्थ्य ' क्या है? ' स्वस्थ ' किसे कहते हैं? मृत्यु जिसे छीन ले, मृत्यु के बाद जो कुछ हमसे छूट जाए वह सब ' पर ' है, पराया है | मृत्यु भी जिसे न छीन पाए सिर्फ वही ' स्व ' है, अपना है | इस ' स्व ' में जो स्थित है वही ' स्वस्थ ' है | कहावत है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा का वास होता है | यदि शरीर ही स्वस्थ नहीं होगा तो आत्मा का स्वस्थ रहना कहाँ संभव होगा | इस पुस्तक को पढ़कर निश्चय ही मन में ' जीवेम शरद: शतम् ' की भावना जाग्रत होती है | प्रस्तुत पुस्तक उनके लिए अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है जो दवाओं से तंग आ चुके हैं और स्वस्थ व सबल शरीर के साथ जीना चाहते हैं |
Yog Aur Yogasan (योग और योगासन)
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250.00
Condition: New
Isbn: 9789383111886, 8185827877
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Yoga And Fitness,Meditation,Health And Healing,
Publishing Date / Year: 2013
No of Pages: 198
Weight: 305 Gram
Total Price: ₹ 250.00
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