Bhagvadgita Ke Anmol Moti (भगवदगीता के अनमोल मोती)

By G. K. Varshney (जी. के. वार्ष्णेय)

Bhagvadgita Ke Anmol Moti (भगवदगीता के अनमोल मोती)

By G. K. Varshney (जी. के. वार्ष्णेय)

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Specifications

Genre

Self-Help

Print Length

212 pages

Language

Hindi

Publisher

Prabhat Prakashan

Publication date

1 January 2013

ISBN

9789380823843

Weight

255 Gram

Description

संसार के समस्त प्राणी सुख और सफलता की खोज में व्याकुल हैं| वे सोचते हैं कि हम कुछ भी कर लें, परंतु सुख और सफलता नहीं मिलती| साथ ही, सभी प्राणी आवागमन के कुचक्र से सदा के लिए छुटकारा चाहते हैं| मनुष्य की इन दोनों महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के मार्ग भगवद‍्गीता में निहित हैं| 'गीता' एक उत्कृष्‍ट धर्मग्रंथ है|
'गीता' को अनेक बार पढ़ने पर भी ऐसा लगता है कि अभी उसकी गहराई तक नहीं पहुँचा गया है| प्रत्येक बार गीता पढ़ने पर मन में नए-नए विचार उत्पन्न होते हैं, नए-नए रहस्य खुलते हैं|
भगवद‍्गीता सुंदर और सरल संस्कृत भाषा में लिखा हुआ पावन ग्रंथ है|


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