₹150.00
MRPPrint Length
122 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2010
ISBN
8173153418
Weight
265 Gram
शुद्ध मन की ओर ' पुस्तक में पिछले कुछ वर्षो के दौरान परम पावन दलाई लामा द्वारा दिए गए प्रवचनों, शिक्षाओं का संकलन किया गया है | महान् आध्यात्मिक नेता परम पावन दलाई लामा ने अपनी मोहक विशिष्ट शैली में मनुष्य के चित्त की प्रकृति का अध्ययन किया है तथा इस विचार पर बल दिया है कि यदि हम अधिक संतुष्ट जीवन बिताना चाहते हैं तो हमें अपने चित्त का परिष्कार करना होगा | परम पावन दलाई लामा ने इस पुस्तक में कष्टों और आनंद, प्रेम तथा सत्य के बारे में अपने अमूल्य विचार व्यक्त किए हैं तथा धार्मिक सहनशीलता से लेकर विश्व की अर्थव्यवस्था तक सभी महत्त्वपूर्ण मसलों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुए चर्चा की है | उन्होंने करुणा और अहिंसा की आवश्यकता पर बल देते हुए मानव हृदय की अच्छाइयों को दोहराया है और यह भी सिखाया है कि कर्मों एवं विचारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कार्य तथा फल के बीच परस्पर निर्भरता पर निरंतर ध्यान देते हुए कैसे हम शान से जी सकते हैं तथा शांति से मृत्यु की अंक में समा सकते हैं | नई शताब्दी के आरंभ में यह पुस्तक आशा की लौ जगाने के साथ-साथ हमें प्रेरणा देती है, हमारा मार्गदर्शन करती है |
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