₹400.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Humor
Print Length
160 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
9788177211238
Weight
315 Gram
मोबाइल पर धुन बजी-'हैलो!' उधर से तीर चला-'मोहन है क्या?' मैं चौंका- 'मोहन... यहाँ कोई मोहन नहीं है!' उन पर कोई असर नहीं-'आपका फोन नंबर क्या है?' मुझे गुस्सा आ गया-'राँग नंबर!' लेकिन वे पीछा छोड़ने को तैयार नहीं-'आप कौन बोल रहे हैं?' मन हुआ, कहूँ-'तेरा बाप!' परंतु सभ्यता का तकाजा था, फोन बंद कर दिया| अब मैंने प्रिंटिंग प्रेस को लगाया| घंटी बजती रही तो घर पर मिलाया| पूछा, 'प्रकाशजी हैं क्या?' स्वर उभरा-'कहिए क्या काम है, मैं उनका भाई बोल रहा हूँ|' मेरी जिज्ञासा-'मेरे कार्ड छप गए क्या?' उनकी प्रतिजिज्ञासा-'आपको कौन सी तारीख बताई थी?' मैंने खुलासा किया-'तारीख तो कल हो गई'| उन्होंने आश्चर्य जताया-'ऐसा क्या! फिर छप गए होंगे|' मुझे खुशी हुई-'तो मैं लेने आ जाऊँ?' उन्होंने पानी फेर दिया-'भई, यह तो आपको प्रकाश से ही पूछना पड़ेगा| वह मुंबई गया है| मेरी अलग दुकान है कपड़ों की|'
-इसी संग्रह से
सात्त्विक, जीवंत एवं रोचक शैली में लिखे अशोक गुजराती के ये व्यंग्य लेख बड़ी-से-बड़ी बात को सहज एवं मारक रूप में कह देने की क्षमता रखते हैं| ये व्यंग्य पाठक को गुदगुदाते ही नहीं, भरपूर मनोरंजन भी करते हैं|
0
out of 5