व्यंग्य जब तक सघन करुणा और गहन विचार में डूबकर नहीं निकलता तब तक स्थायी प्रभाव नहीं छोड़ पाता| विचार, संवेदना, करुणा और पीड़ा व्यंग्य को धारदार बनाते हैं| हास्य उसमें सरसता उत्पन्न करता है| भारतीय लेखन-परंपरा में हास्य का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है| वह न केवल नवरसों में से एक माना गया है, बल्कि उसे दैवी अभिव्यक्ति कहा गया है| पौराणिक मान्यता है कि जो हँस सकता है वह 'शिव' है और जो हँसना नहीं जानता वह 'शव' है| व्यंग्यकार उन समस्त आवरणों को हँसते-हँसते उतार फेंकता है, जो पाखंड बुनता है| व्यंग्य सत्य की तलाश करता है| हास्य वस्तुत: व्यंग्य का विनोदी अनुगुंजन होता है| व्यंग्यकार हृदय से निर्मल होता है, परंतु उसका विप्लवी मस्तिष्क भीतर-बाहर के संपूर्ण कलुष, छल-प्रपंच, कपटता, आडंबर, दुर्भावना इत्यादि को पूरी प्रखरता के साथ उजागर करता है| व्यंग्यजनित हास्य एक तीखा, तप्त और दर्द भरा विनोद होता है| यही कारण है कि जब हम हँस रहे होते हैं तो मन की गहराइयों में कोई वेदना भी लहरा रही होती है| व्यंग्यकार के मन में परिस्थितियों और परिवेश के प्रति गहन आक्रोश हो सकता है, परंतु कोई मलिनता नहीं| उसकी मूल भावना परिष्कार और कल्याण की होती है| मूल्यों के प्रति उसका आग्रह रहता है| प्रश्न उठता है कि क्या व्यंग्य के माध्यम से उन परिस्थितियों को बदला जा सकता है, जो विसंगतियों और विद्रूपताओं को जन्म देती हैं? उत्तर यही हो सकता है कि व्यंग्य में व्यक्ति और समाज को बदलने की उतनी ही सीमित क्षमता होती है जितनी अन्य किसी भी सर्जनात्मक विधा में| व्यंग्य की शक्ति सांकेतिक और प्रतीकात्मक होती है| व्यंग्यकार न उपदेशक होता है, न ही नैतिकता का झंडाबरदार| व्यंग्य अनुभूतियों को झंकृत करता है और सौंदर्य-बोध जाग्रत् करने का यत्न भी करता है; लेकिन कुल मिलाकर वह अपने परिवेश और देशकाल का दर्पण होता है| सार्थक व्यंग्य केवल अपने समय की व्याधियों की शिनाख्त ही नहीं करता, उनके निदान की ओर भी संकेत करता है| वरिष्ठ पत्रकार, विचारक और व्यंग्य लेखक रमेश नैयर ने छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यंग्यकारों की एक-एक रचना इस संकलन में संकलित की है| इन सभी व्यंग्यकारों के स्वतंत्र संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं| इनमें से अनेक ने हिंदी व्यंग्य लेखन में अपनी विशिष्ट राष्ट्रीय पहचान बनाई है| छत्तीसगढ़ के लोकमानस पर कबीर के व्यक्तित्व तथा विचार की गहरी छाप रही है| कबीर का फक्कड़पन, उनकी बेबाकी, विचारों की गहनता और हालात को बदलने की कोशिश इस क्षेत्र के व्यंग्यकारों में बड़ी प्रखरता के साथ कौंधती है| इसी के दृष्टिगत कबीर की उक्ति 'साधो जग बौराना' को इस संकलन का शीर्षक रखा गया| बौराए हुए समाज के अनेक अक्स इन व्यंग्य रचनाओं में मिलते हैं|
Sadho Jag Baurana (साधो जग बौराना)
Author: Ramesh Nayyar (रमेश नैयर)
Price:
₹
400.00
Condition: New
Isbn: 8188140228, 9789386871190
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,
Publishing Date / Year: 2018
No of Pages: 152
Weight: 285 Gram
Total Price: ₹ 400.00
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