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Papi Vote Ke Liye (पापी वोट के लिये)

Price: ₹ 400.00

Condition: New

Isbn: 8188266078

Publisher: Prabhat Prakashan

Binding: Hardcover

Language: Hindi

Genre: Novels And Short Stories,Humor,

Publishing Date / Year: 2018

No of Pages: 159

Weight: 275 Gram

Total Price: 400.00

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दिल्ली भारत का टिकट धाम है| टिकटार्थी चुनावों के पावन पर्व पर यहाँ तीर्थयात्रा को आते हैं| झुंड-के-झुंड घूमते रहते हैं| टिकट मंदिरों में माथा टेकने जाते हैं| सुबह से शाम तक दर्जनों नेताओं के पास, नेताओं के चमचों के पास दस्तक देते हैं| एक ही पुकार होती है-'टिकटं देहि, टिकटं देहि|' उनके विन्यास में सांस्कृतिक झलक होती है| 'चाणक्य' धारावाहिक में आपने ब्रह्मचारियों को सुबह-सुबह ही 'भिक्षां देहि, भिक्षां देहि' कहते सुना होगा| एक-एक सीट के लिए दस-दस, बीस-बीस टिकटार्थी आते हैं| हर एक के साथ उनका समर्थक मंडल होता है| सभी उम्मीदवारों के पास अपने जीतने के समीकरण होते हैं| लोकसभा चुनाव-क्षेत्र में उनकी जाति के कम-से-कम दो लाख वोट तो होते ही हैं| और किस-किस जाति में कितना समर्थन मिल जाएगा, इसका पूरा हिसाब होता है| जीतने का विश्‍वास उनमें लबालब भरा होता है| उनके और उनकी जीत के बीच में सिर्फ टिकट बाधा होती है| हफ्तों टिकट साधना करते हैं| मैं 'साधना' जानबूझकर कह रहा हूँ| उन्हें न भोजन की याद आती है, न नाश्ते की| न उन्हें नींद आती है, न चैन आता है| साधना में वे टिकटलीन हो जाते हैं| उन्हें देखकर लगता है कि भारत सचमुच ही एक आध्यात्मिक देश है| जो टिकटलीन हो सकता है, वह ईश्‍वर में भी ओत-प्रोत हो सकता है| -इसी पुस्तक से ये व्यंग्य अपनी पठनीयता के दावेदार तब भी थे, जब अखबार के माध्यम से लाखों मन को छू रहे थे और अब भी हैं, जब पुस्तक के कलेवर में आपके हाथों में हैं|