फ्लैप मैटर-1 इस व्यंग्य संकलन की रचनाओं को पढ़कर मैं कह सकता हूँ कि डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' में विसंगतियों को पहचानने का माद्दा है| रचना में प्रत्येक शब्द उचित जगह पर प्रयोग करना उनकी खूबी है, इसलिए उनके व्यंग्य चाहे कथा हैं या लेख, वे सफल व्यंग्य हैं| -डॉ. शेरजंग गर्ग डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' ने विभिन्न विषयों पर अपने व्यंग्य-बाण चलाए हैं| उनके तरकश का सैंसेक्स काफी बढ़ता नजर आया है| जुगाड़, तिकड़म और चलते पुर्जों का जोर, लोकतांत्रिक शक्तियों की तानाशाही, समाजवादी अभिलाषाओं का असामाजिक होना, नई पीढ़ी की त्रिशंकुता और बुद्धिजीवियों का पलायनवाद-वे मुख्य मुद्दे हैं, जो इस व्यंग्य संकलन में उभरे हैं| समाज की नब्ज़ को पकड़ते और पढ़ते रहने की आदत ने डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' के व्यंग्यकार के कद को यकीनन बड़ा किया है| वे अपने सामाजिक सरोकारों से रूबरू होते हैं, इसका प्रमाण उनके सामाजिक विश्लेषण देते हैं| उनके लेखन में सूक्तियाँ बड़ी मारक होती हैं| इस संकलन में भी ये प्रभावित करती दिख रही हैं| व्यंग्यकार को अनेक शैलियाँ अपनाने की छूट होती है| डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' ने यह छूट लूट ली है-अनेकानेक शैलियों में कथ्य को बाँधा, कुछ अपनी शैली भी निर्मित की है| यह साधुवाद की बात है| -डॉ. हरीश नवल, फ्लैप-2 डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' के इस व्यंग्य संकलन में उनका विषय-वैविध्य बहुत प्रभावित करता है| उनका शिल्प पक्ष बेजोड़ है| कई जगह वे ऐसे अनूठे प्रयोग करते हैं कि पाठक चौंक जाता है| वक्रोक्ति और वाग्वैदिग्ध्य का प्रभावी मिश्रण इस संकलन की उल्लेखनीय विशेषता है| डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' व्यंग्य निबंधों की अपेक्षा व्यंग्य कथा लिखने में अधिक सहज हैं| इस संकलन में उनकी जो व्यंग्य कथाएँ हैं, वे उच्च कोटि की हैं| -डॉ. सुभाष चंदर डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' के इस व्यंग्य संकलन से गुजरते हुए एक बात जो लगातार महसूस होती रही है, वह यह है कि वे सांस्कृतिक सवालों से इतर सामाजिक-प्रशासनिक, यहाँ तक कि कहीं-कहीं राजनीतिक सवालों तक में भी अपनी दृष्टि-संपन्नता का कुछ-कुछ परिचय अवश्य देते रहे हैं| बेशक सोच का यही आधार परिपक्व होने पर इस दमनचक्र को तोड़ने में कारगर भूमिका का निर्वाह भी करेगा| डॉ. रवि शर्मा 'मधुप' अपनी प्रवाहमयी, सरस, रोचक शैली से पाठकों को अभिभूत करने के साथ बाँधने की अद्भुत क्षमता रखते हैं| उनका यह प्रकाश्य व्यंग्य संकलन अपने कथ्य की ताजगी और उक्ति-वैचित्र्य की जीवंतता से आम पाठक को सम्मोहित करने में सफल होगा| -राजेंद्र सहगल
Angootha Chhap Hastakshar (अंगुठा छाप हस्ताक्षर)
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200.00
Condition: New
Isbn: 9789383111435
Publisher: Prabhat Prakashan
Binding: Hardcover
Language: Hindi
Genre: Novels And Short Stories,Humor,
Publishing Date / Year: 2014
No of Pages: 144
Weight: 285 Gram
Total Price: ₹ 200.00
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