₹200.00
MRPGenre
Print Length
152 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2013
ISBN
9789350482827
Weight
315 Gram
इतिहास में सम्राट् अशोक को दो चीजों के लिए याद किया जाता है-एक, कलिंग के युद्ध के लिए और दूसरा, भारत के बाहर की दुनिया में बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए| अपने आरंभिक दिनों में अशोक बहुत क्रूर राजा था| अपने निष्कंटक राज्य के लिए उसने अपने सौतेले भाइयों को मरवा दिया था| उसके इन क्रूर कारनामों के कारण उसे 'चंड अशोक' कहा जाने लगा था| उसने एक के बाद एक राज्य जीता और साम्राज्यवाद की अपनी महत्त्वाकांक्षा को सींचता रहा| उसका राज्य भारत के पार दक्षिण एशिया और पर्शिया तक को छूने लगा| आखिर कलिंग का युद्ध हुआ| इसमें भी अशोक को जीत मिली| लेकिन इस युद्ध में दोनों पक्षों के एक-एक लाख लोग मारे गए और इससे भी ज्यादा बेघर हो गए| कलिंग युद्ध में हुए महाविनाश से विचलित हो गया| उसने बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया| उसने जनकल्याण के कार्य आरंभ कर दिए और राजसी भोग-विलास का परित्याग कर दिया| उसने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित कर दिया| सम्राट् अशोक के शौर्य, युद्धकौशल विजय अभियानों और दानव से मानव बनने की मार्मिक कथा प्रस्तुत करनेवाली एक पठनीय पुस्तक|
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