₹350.00
MRPGenre
Novels And Short Stories, Science And Technology
Print Length
172 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2018
ISBN
8188266507
Weight
335 Gram
विकासवाद का सिद्धांत' के लिए संपूर्ण विश्व में ख्यात चार्ल्स डार्विन दुनिया के श्रेष्ठतम वैज्ञानिकों में से एक थे| बचपन से ही प्राकृतिक वस्तुओं में रुचि रखनेवाले चार्ल्स ने पाँच वर्ष समुद्री यात्रा में बिताए और जगह-जगह की पत्तियाँ, लकड़ियाँ, पत्थर, कीड़े-मकोड़े व अन्य जीव तथा हड्डियाँ एकत्रित कीं|
उन्होंने अपना शोध कार्य ग्रामीण इलाके के दूर-दराज स्थित एक मकान में आरंभ किया था| तभी से उनके मस्तिष्क में 'जीवोत्पत्ति का सिद्धांत' जन्म ले चुका था| सन् 1844 में उन्होंने उसे विस्तार से कलमबद्ध भी कर लिया| वे लगातार प्रयोग-दर-प्रयोग करके अपने सिद्धांत को प्रामाणिक बनाते चले गए|
डार्विन ने जीवन के हर पहलू पर प्रयोग किए| उन्होंने पत्तों, फूलों, पक्षियों, स्तनपायी जीवों-सभी को अपने प्रयोगों के दायरे में लिया| विभिन्न प्रकार के मांसाहारी पौधों से संसार को अवगत करानेवाले डार्विन ने निरीह केंचुओं के व्यापक योगदान पर भी प्रकाश डाला| वे अपने सिद्धांतों को अनेक दृष्टिकोणों, तथ्यों व तरीकों से परखते थे| उनका संपूर्ण जीवन प्रयोगों में ही बीता| संसार को 'विकासवाद' का प्रसिद्ध सिद्धांत इन्हीं प्रयोगों की देन है|
प्रस्तुत है एक महान् वैज्ञानिक की महान् जीवन-गाथा, जो रोचक व पठनीय होने के साथ ही संग्रहणीय भी है|
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