₹300.00
MRPGenre
Novels And Short Stories
Print Length
246 pages
Language
Hindi
Publisher
Prabhat Prakashan
Publication date
1 January 2016
ISBN
8173156190
Weight
450 Gram
हम बचपन में आसमान में उड़ते पक्षियों को देख स्वयं उड़ान भरकर आसमान छूने का स्वप्न देखते हैं; पर बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो उस स्वप्न को साकार कर पाते हैं| ऐसा ही विरला नाम है- डॉ. विजयपत सिंघानिया, जिन्होंने बाईस दिनों में-16 अगस्त, 1988 से 8 सितंबर, 1988 तक-इंग्लैंड से भारत तक लगभग 5,000 मील की हवाई उड़ान पूरी की और इस प्रकार उन्होंने अंग्रेज पायलट ब्रियान मिल्टन के चौंतीस दिनों का रिकॉर्ड तोड़कर 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में अपना नाम दर्ज करा लिया| इस यात्रा की शुरुआत एक पत्रिका में छपे एक छोटे से विमान के चित्र से हुई, जो देखने में बिलकुल अजीबोगरीब लग रहा था| उसे देखकर डॉ. विजयपत सिंघानिया के मन में विचार आया और उन्होंने उस छोटे से विमान में एक साहसिक उड़ान भरने का निश्चय कर लिया| हालाँकि यह कार्य अत्यंत जोखिमपूर्ण लग रहा था, लेकिन इसका अंत अत्यंत गौरवपूर्ण रहा| अपने आदर्श नायक जे.आर.डी. टाटा की तरह ही विजयपत सिंघानिया भी उड़ान को लेकर ऊँचे-ऊँचे सपने देखा करते थे| सचमुच उड़ान को लेकर उनके मन में एक अलग तरह की ललक और जज्बा है| जो विमान उन्होंने पत्रिका में चित्र के रूप में देखा था, वह दो सीटोंवाला और टू-स्ट्रोक इंजनवाला एक शैडो माइक्रोलाइट था, जो एक मोटोबाइक की शक्ल का दिखाई दे रहा था| विमान इतना छोटा था कि स्वयं उनके शब्दों में-'उसमें बैठने पर बैठने का अहसास कम और उसे पहनने का अहसास ज्यादा होता था|' यह पुस्तक सिखाती है-खतरों से जूझना और जीवन के रोमांच को जीना|
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